एक दूजे के लिए

पति पत्नी ये दोनो ही नाम एक दूसरे के पर्याय है , एक के बिना दूसरा अपना अस्तित्व खोने लगता है और हो भी क्यो न पति बिना पत्नी अपूर्ण है तो पत्नी बिना पति।हम जन्म लेते ही तमाम रिश्तों में बँध जाते है तो उन रिश्तों से प्रेम व स्नेह भी स्वाभाविक है परन्तु जब हम विवाह बंधन मे बँधते है तो एक ऐसा शख्स पति या पत्नी के रूप मे हारे जीवन मे प्रवेश करता है जिससे हमारा रक्त संबंध न होकर भावनात्मक संबंध होता है और देखते ही देखते भावनाओं से पनपा ये संबंध प्रगाढ हो जाता है ।एक दूसरे से अनभिज्ञ दो इंसान जिनके विचार , पसंद ,खानपान और रहन सहन सब कुछ जुदा होता है एक दूसरे के पूरक बन जाते है , एक दूसरे के लिए ही जीने लगते है ,एकदूसरे की पसन्द को आत्मसात कर लेते है और निर्मित कर लेते है कभी न टूटने वाला अटूट रिश्ता, जो जीवन खट्टे मीठे अनुभवों से गुजरता हुआ दिन प्रतिदिन नये नये रिश्तों को खुद मे समाहित करता हुआ पूर्णता की ओर बढ़ चलता है ……..

Vibha


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